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गुलशन में बंदोबस्त ब-रंग-ए-दिगर है आज / ग़ालिब

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गुलशन में बंदोबस्त ब-रंग-ए-दिगर है आज
क़ुमरी का तौक़ हल्क़ा-ए-बैरून-ए-दर है आज

आता है एक पारा-ए-दिल हर फ़ुग़ाँ के साथ
तार-ए-नफ़स कमंद-ए-शिकार-ए-असर है आज

ऐ आफ़ियत किनारा कर ऐ इंतिज़ाम चल
सैलाब-ए-गिर्या दर पे दीवार-ओ-दर है आज