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सरवर पाणी नै गई सुण आई नई नई बात / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सरवर पाणी नै गई सुण आई नई नई बात
बिरजो एक जोबन झिरवै एकला
एक लुगाई न्यूं कहै तिरे हाकम का ब्याह
बिरजो एक जोबन झिरवै एकला
किस गुण ब्याही दूसरी मेरे औगुण दो ना बताय
बिरजो एक जोबन झिरवै एकला
ओगुण थोड़े गुण घणे छोटी बंदड़ी का चा
बिरजो एक जोबन झिरवै एकला
सौकण आई मैं सुणी हलहल चढ़ गया ताप
बिरजो एक जोबन झिरवै एकला
मेरी दूखै आंगली सोकण की दूखै आंख
बिरजो एक जोबन झिरवै एकला
आच्छी हो गई मेरी आंगली सौकण की फूटगी आंख
बिरजो एक जोबन झिरवै एकला
सौकण मरी मैं सुणी हलहल उतरा सै ताप
बिरजो एक जोबन झिरवै एकला
घूंघट रोवै मन हंसै हिया हिलोडे लेय
बिरजो एक जोबन झिरवै एकला