भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पिया लै दो हमें हरियल सारी / ईसुरी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:32, 1 अप्रैल 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=बुन्देली |रचनाकार=ईसुरी |संग्रह= }} {{KKC...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पिया लै दो हमें हरियल सारी,
पलका पै मचल रई हैं प्यारी
सूत महीन, झीन ना हौवै,
बड़ी मुलाम तरज बारी।
छोरन मोर पपीरा राजें,
जरद कोर की जरतारी।
बीचन बीच बेल बूटन सें
भरी होय कछु फुलवारी।
कहत ईसुरी सुनलो प्यारी,
भोर भगा है सुकमारी।