भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जब बांधूंगा उनको राखी / दिविक रमेश

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:21, 9 जुलाई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} {{KKCatBaalKavita}} <p...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मां मुझको अच्छा लगता जब
मुझे बांधती दीदी राखी
तुम कहती जो रक्षा करता
उसे बांधते हैं सब राखी।

तो मां दीदी भी तो मेरी
हर दम देखो रक्षा करती
जहां मैं चाहूं हाथ पकड़ कर
वहीं मुझे ले जाया करती।

मैं भी मां दीदी को अब तो
बांधूंगा प्यारी सी राखी
कितना प्यार करेगी दीदी
जब बांधूंगा उनको राखी!