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परबत उपर नेमुआ चनन केर गाछ / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

परबत उपर नेमुआ चनन<ref>नींबू और चन्दन</ref> केर गाछ, लिखूँ कोहबर।
ताहि तर दुलरइता दुलहा खेलइ जुगवा सार<ref>जूआ, पाशा खेलने की गोटी</ref> लिखूँ कोहबर॥1॥
किया तोंहे अजी बाबू, खेलबऽ जुगवा सार, लिखूँ कोहबर।
तोहरो दुलरइतिन सुघवे<ref>प्यार भरा संबोधन, जो सुग्गे के अर्थ का प्रतीक है। सुभगा</ref> नइहरवा भागल जाय, लिखूँ कोहबर॥2॥
जाय देहु जाय देहु, अम्माँ जी के पास, लिखूँ कोहबर।
उनको पीठी<ref>पीठ पर</ref> बजतइन<ref>बजेगी, बरसेगी</ref> सुबरन केर साँट<ref>सोने की छड़ी</ref> लिखूँ कोहबर॥3॥
ई मति जानु बाबू, सासु निरमोहिया, लिखूँ कोहबर।
उनकर धिया हइन<ref>है</ref> परान के अधार, लिखूँ कोहबर॥4॥

शब्दार्थ
<references/>