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रंग उल्फ़त का दिलों में भर दे / ईश्वरदत्त अंजुम

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रंग उल्फ़त का दिलों में भर दे
खुश्क सहरा को समुन्दर कर दे।

दिल की बस्ती में क़दम रख आ कर
तीरा राहों को मुन्नवर कर दे।

दोलतो-जर न अता कर बेशक
दिल में इक दर्द का तूफां भर दे।

अपने जलवों की अता कर दौलत
दामने-दिल को किसी दिन भर दे।

हो न हालात से मायूस 'अंजुम'
क्या ख़बर कब वो इनायत कर दे।