भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सहेलियां / रेखा चमोली

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:33, 28 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेखा चमोली |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सामने से आती दिखती वह
चुस्त जींस कुरते में स्टॉल डाले
दूर से ही किसी को देखकर मुस्कुराती है
पास आकर कस कर गले लगाती है
हाथ से छूटने को होते हैं
जरूरतों से भरे भारी थैले
एक जोरदार हॅसी से महक जाती है सडक
चौंक जाती हैं कई जोडी ऑखें
इनकी परवाह किए बिना
सडक किनारे खडी होकर बातें करती हैं दोनांे
पूछती हैं एक दूसरे का सुख-दुख
ताने देती हैं फोन न करने के
एक दूसरे का खालीपन, बेबसी सब भांप जाती हैं
हाथ थामे-थामे
और फिर चल देती हैं
अपनी-अपनी दिशा
सडक की थकान इस बीच कुछ घट जाती है।