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हावा बनी / दिलिप योन्जन

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हावा बनी छोउ की तिम्लाई
झरी बनी भिजाउ
तिमी बसेउ मुटु माँझ
मन कसरी बुझाउ।

लुकु-लुकु जस्तो लाग्छ
फर फराउने केसमा
चुमु चुमु जस्तो भाछ
गुलाबी त्यो ओठमा।

घाम बनी छोउ की तिम्लाई
जुन बनी लुकाउ
तिमी बसेउ मुटु माँझ
मन कसरी बुझाउ।

गाजालु ति आँखा भित्र
बास बस्नु पाए हुन्थ्यो
सुख सान्ति सधै दिन्थे
जन्म२ साथ दिए पुग्य्यो।
फुल बनी सजाउ की तिम्लाई
बास्ना सम्झि सुगुउ
तिमी बसेउ मुटु माँझ
मन कसरी बुझाउ।