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चुभते रहते हैं खार- से दिल में / अनिरुद्ध सिन्हा

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चुभते रहते हैं खार से दिल में
फ़र्क़ क्या आप और क़ातिल में

एक परछाई साथ चलती है
कौन शामिल है मेरी मुश्किल में

धूप की रूत में छांव की खातिर
लोग आएंगे तेरी महफिल में

सैकड़ों लोग आए जाएंगे
नाम तेरा रहेगा इस दिल में

मौत का डर उसे भी लगता है
इतनी दानिश भरी है जाहिल में