भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अपनी आंखों को चार कर लेना / अभिषेक कुमार अम्बर
Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:04, 17 मार्च 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अभिषेक कुमार अम्बर |संग्रह= }} {{KKCatKata...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
1.
अपनी आंखों को चार कर लेना,
कितना मुश्किल है प्यार कर लेना।
एक दिन लौटकर मैं आऊंगा,
हो सके इंतजार कर लेना।
2.
फिर तेरी याद आ गई मुझको,
ख़्वाब कितने दिखा गई मुझको।
करके वादा सदा हंसाने का,
आज वो भी रुला गई मुझको।