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आखिर कौन है जो / मुन्नी गुप्ता

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 चिड़िया हँसती है तो
समन्दर ख़ुशी से झूम उठता है
 
समन्दर की मुस्कुराहट
चिड़िया की सरगम है
औ’ चिड़िया की मुस्कुराहट
समन्दर की ताक़त
औ’
समन्दर की हँसी
चिड़िया की परवाज़
 
दोनों की मुस्कुराहटों से
समन्दर और आसमान
आसमान और समन्दर के बीच
नीले फूल खिल-खिल उठे हैं ।
 
आसमान से नीले फूलों की बारिश हो रही है
औ’ समन्दर नीले फूलों से भर गया है
 
तट दहक उठा है
मोरपंखी रंग के नील फूलों से
 
चित्रकार,
       आख़िर कौन है जो
समन्दर और चिड़िया के बीच
सुन्दरतम को रच रहा है ?
 
आख़िर कौन है जो
समन्दर और चिड़िया के शून्य को
नील-फूल की घाटी में
बदल देना चाहता है ?
 
आखिर कौन है?
चिड़िया और समन्दर
समन्दर और चिड़िया के बीच
जो नील पुष्प घाटी को
कैक्टस के जंगल में बदल रहा है ।