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हर किसी के पास जाऊँ दिल नहीं करता / मृदुला झा

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हर किसी को ग़म सुनाऊँ दिल नहीं करता।

क्या हुआ जालिम ज़माना है तो है यारो
मैं किसी का दिल दुखाऊँ दिल नहीं करता।

यार मुझसे क्यों खफा है मैं नहीं जानूँ,
यह घुटन सबको बताऊँ दिल नहीं करता।

भूल कर भी वो इधर का रुख़ नहीं करते,
जख़्मे दिल सबको दिखाऊँ दिल नहीं करता।

क्यों हुए बेदर्द वो मुझको पता है पर,
सबको अफसाना सुनाऊँ दिल नहीं करता।