भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ज़िन्दगी से ज़िन्दगी ऐसे अलग / विनय मिश्र

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:15, 6 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनय मिश्र |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGha...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ज़िन्दगी से ज़िन्दगी ऐसे अलग
 एक घर में हों कई कमरे अलग

 एक हिस्सा सोचता ही रह गया
 दूसरा जब हो गया उससे अलग

 हो रहे अपने मुनाफे के लिए
 इस नए व्यापार में रिश्ते अलग

 धीरे-धीरे जुड़ गए हैं तार सब
 एक हैं सब कौन है किससे अलग

 चाल चलने को मिलाता है मगर
 ज़ेहन में रखता है सब पत्ते अलग

 छोटी-छोटी हर ज़रूरत के लिए
 हर क़दम पर हो रहे सौदे अलग

 कुछ नया ही मैकदे का रंग देख
 कर लिए हमने भी पैमाने अलग