भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पूरी हिम्मत के साथ बोलेंगे / उर्मिलेश

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:38, 22 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> पूरी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पूरी हिम्मत के साथ बोलेंगे
जो सही है वो बात बोलेंगे

साहिबों,हम क़लम के बेटे हैं
कैसे हम दिन को रात बोलेंगे

पेड़ के पास आँधियाँ रख दो
पेड़ के पात पात बोलेंगे

'ताज'को मेरी नज़र से देखो
जो कटे थे वो हाथ बोलेंगे

उनको कुर्सी पे बैठने तो दो
वो भी फिर वाहियात बोलेंगे

मुल्क के हाल-चाल कैसे हैं
ख़ुद -ब-ख़ुद वाक़यात बोलेंगे

शब्द को नाप तोलकर कहना
अर्थ भी उसके साथ बोलेंगे