भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नलिन विलोचन शर्मा / दिनेश्वर प्रसाद

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:40, 24 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश्वर प्रसाद |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बहुत बार, बहुत बार आपको याद किया ।
बहुत बार आँखों की सड़क से गुज़रे आप ।
झील-सी आँखों के सूर्यदीप्त ऐनकों पर
सिगरेट का धुआँ
चिन्तन के उठ रहे बादल-सा बिम्बित था ।
लगा नहीं, आप सिर्फ़ याद थे ।

(30 नवम्बर 1964)