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हाथ ठेला / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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नहीं अजूबा न अलबेला,
यह तो अरे हाथ का ठेला।
माल ढुलालो चटपट इससे,
न झंझट न कोई झमेला।
फेरीवाला लिये घूमता,
इसमे रखे पपीता केला।
भरकर पल्टूराम खिलोने,
लेकर ठेला जाता मेला।