भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अमर बन ! / भारत यायावर

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:07, 1 मई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भारत यायावर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सब ज़िन्दा हैं और रहेंगे ।

लोग चिल्लाते रहते हैं
कि मार दिया
सुकरात को मार दिया
ईसा को मार दिया
गांधी को मार दिया !

भला कौन मार सकता है
अमर है वह चेतना
अमर है वह वाणी
तो अमर है अस्तित्व!

जो मरा हुआ है
वह क्या मारेगा

लेकिन डर-डर कर जीने वाला
मर-मर कर जीता है
स-मर में अ-मर कर
अजर-अमर बन !