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हाइकू - 5 / शोभना 'श्याम'

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41
पिया बसंत
लगाए उबटन
धरा दुल्हन

मुग्ध नयन
बासंती धरा देखे
निज अयन

42.
पाणिग्रहण
खुशियों पर नारी की
लगे ग्रहण

गठबंधन
कर्त्तव्य का बंधन
नारी के लिए

43.
जले स्वयं
फिर भी तो छँटा न
दुर्भाग्य तम

ढूँढता मन
निराशा के तम में
प्रकाश कण

44
बादल राही
रोक पर्वतराज
करें उगाही

नदी ले जाएँ
पानी मैदान तक
नियम शाही

45
घटता नीर
कैसे दिखाए धरा
कलेजा चीर

बढ़ेगी पीर
टूटेगा एक दिन
धरा का धीर

46
न वातायन
न खिड़की नेह की
अंधा शहर

न किलकारी
न आत्मीय पुकार
गंगा शहर

47
समय धारा
बहना ही नियति
छोड़ किनारा

बह न पाया
तोड़ा वह पत्थर
बनाया गारा