भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दुष्कर्मियों के अट्टहास / शोभना 'श्याम'

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:13, 26 जून 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शोभना 'श्याम' |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKC...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

औरतों और बच्चियों के आर्तनाद
बेशर्म राजनीति के बयान
तमाशबीन और कायर व्यवस्था की चुप्पी

सब दफ़न हो रहा है उस मिटटी में
जहाँ जहाँ बहा है किसी प्रताड़िता का लहू
जहां जहां दागा गया है गर्म सलाखों से
किसी मासूम कली का बचपन
जहाँ रौंदा गया है शैशव

सदियों बाद इतिहास के खोज में
जब खोदी जाएगी ये मिट्टी
कालपात्रों की तरह निकलेंगी वहां से
ये गूंगी चीखें
ये बेशर्म बयान
ये कायर चुप्पियाँ
ये क्रूर अट्टहास

इस युग के माथे पर लगेगा शायद
लेबल एक बलात्कारी युग का
कौन जाने विज्ञान के वर्चस्व की बजाय
न्याय के बौनेपन के लिए जाना जाये ये युग
तकनिकी की चमक दमक से नहीं
हवस के अंधेरों से होगी
समय के इस चेहरे की शिनाख्त

क्या हमारे वंशज कहेंगे फख्र से कि देखो
बर्बरता में इतना समृद्ध था हमारा समाज