भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

याद नहीं कितने पृष्ठों पर / अनुराधा पाण्डेय

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:56, 1 मार्च 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनुराधा पाण्डेय |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

याद नहीं कितने पृष्ठों पर,
सखे! तुम्हारा प्यार लिखा।

नाम तुम्हारा लिख-लिख मैंने
हर चिंदी पर छोड़ दिया।
नित्य बनाया एक घरौंदा,
किन्तु लहर ने तोड़ दिया।
जितनी बार मिटाए जग ने,
मैंने उतनी बार लिखा।
सखे! तुम्हारा प्यार लिखा।

मैंने अपने मन मंदिर में
पारिजात अवधान लिए।
रही पूजती एकनिष्ठ मैं,
निज मन का भगवान लिए।
रहा देवता मौन सतत पर
मैंने तो मनुहार लिखा।
सखे! तुम्हारा प्यार लिखा।

चुनने को जब चली सुमन तो,
शूलों ने सत्कार किया।
रही सोचती किन भूलों ने,
मुझको यह अधिभार दिया।
घावों को सहलाया मैंने,
पीड़ा का शृंगार लिखा।
सखे! तुम्हारा प्यार लिखा