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प्यार की द्वन्द्वात्मकता / शशिप्रकाश

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उसी धारा में हम फिर से नहीं उतर सकते
जिसमें कल तैरते रहे थे I

हर बार जब हम उतरते हैं फिर-फिर
बहती हुई धारा में
तो अतीत की स्मृतियाँ भी साथ होती हैं I

स्मृतियाँ ही परिचय का आभास देती हैं
और नएपन का भी I

बीच में प्रतीक्षा होती है
सपनों से लदी-फदी I