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फ़ाग / शिव रावल

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रंग, उमंग, तरंग, हुड़दंग सभी आज आन मिले हैं
फागुन के घर आँगन कुछ उत्सव आन मिले हैं
सुबह की ओस में भीग, सुनहरी धूप की चादर तान मिले हैं
रिश्तों के सूखे घरौंदों में फिर ताज़ी हवा, बौछार मिले हैं
लो आया मतवाला फाग हो भाभी के
सफ़ेदी संग श्याम रंग, गोरे मुखड़ों
संग गुलाल मिले हैं