भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कभी दर्द -ए-दिल की दवा चाहता हूँ / बुनियाद हुसैन ज़हीन

Kavita Kosh से
Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:00, 7 सितम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कभी दर्द-ए-दिल की दवा चाहता हूँ
कभी रोग इससे सिवा चाहता हूँ

अरे बेवफा सुन मैं क्या चाहता हूँ
खता मैंने की है सजा चाहता हूँ

मयस्सर न आई थी ताबीर जिसकी
वही खवाब फिर देखना चाहता हूँ

ज़माने के जुल्मो -सितम सह गया मैं
तेरे ज़ुल्म की इन्तहा चाहता हूँ

जिसे देख कर ज़ख्म दिल के हरे हों
उसे इक नज़र देखना चाहता हूँ

"ज़हीन" आज फिर क्यूँ मैं उसकी कहानी
उसी की ज़बानी सुना चाहता हूँ