भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कुछ खट्टा कुछ मीठा लेकर घर आया / ओमप्रकाश यती

Kavita Kosh से
Omprakash yati (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:21, 22 नवम्बर 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुछ खट्टा कुछ मीठा लेकर घर आया।
मैं अनुभव जीवन का लेकर घर आया।

खेल-खिलौने भूल गया सब मेले में
वो दादी का चिमटा लेकर घर आया।

होमवर्क का बोझ अभी भी सर पर है
जैसे तैसे बस्ता लेकर घर आया।

उसको उसके हिस्से का आदर देना
जो बेटी का रिश्ता लेकर घर आया।

कौन उसूलों के पीछे भूखों मरता
वो भी अपना हिस्सा लेकर घर आया।