भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आखिरी बात / अजेय

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:08, 26 मार्च 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आखिरी बात तो अभी कही जानी है
यह जो कुछ कहा है
आखिरी बात कहने के लिए ही कहा है।

आखिरी बात तो दोस्त
 बरसात की तरह कही जाएगी
बौछारों में
और जो परनाले चलेंगे
पिछली तमाम बातें उनमें बह जाएंगी।
बातों -बातों में बातों की
बेबुनियाद इमारतें ढह जाएंगी।
फिर उसके बाद कोई बात कहने की
ज़रूरत नहीं रह जाएगी।

आखिरी बात कह डालने के लिए ही
जिए जा रहा हूँ
जीता रहूँगा
आखिरी बात कहे जाने तक।
1999