भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक फ़ासिस्ट को हम किस तरह से देखें / देवी प्रसाद मिश्र

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:59, 5 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= देवी प्रसाद मिश्र |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक फ़ासिस्ट को हम किस तरह से देखें

समाचार की तरह
नरसंहार की तरह
या हार की तरह
मिथक की तरह
या कत्थक की तरह

एक फ़ासिस्ट को हम किस तरह से देखें
कि पहले गृहमन्त्री की तरह
फिर खनन मन्त्री की तरह
और फिर यन्त्रणा कैम्प के सन्तरी की तरह

एक फ़ासिस्ट को हम किस तरह से देखें
कि वह चाय पीता दिख जाए
और यह उसकी मनुष्यता का अन्यतम इजहार हो

एक फ़ासिस्ट को हम किस तरह से देखें
क्या इस तरह कि घृणा भीड़ में बदलती है
और भीड़ जनमत में
क्योंकि डरना एक विचार है
और डराना एक विचारधारा
और हत्या के आदेश देना राज्य-नीति

एक फ़ासिस्ट को हम
करोड़ों के इमेज मेकओवर के बाद
मुखौटों की विनम्रताओं को हटाकर
किस तरह से देखें कि वह दिखे

कि हम देखते हुए दिखें
कि देखो वह दिखा

एक फ़ासिस्ट को हम किस तरह से देखें कि
हम दिखे हुए को
न दिखा हुआ
न देखें