भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गाँव और कविता / कुमार कृष्ण

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:12, 8 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार कृष्ण |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गाँव और कविता दोनों का नहीं होता
कोई बीजगणित
उनके होते हैं छोटे- छोटे विश्वास
बड़े-बड़े रिश्तों के ज्वालामुखी
गहरे-गहरे प्यार के पोखर
सपनों की डूँघी-डूँघी बावड़ियाँ
वे हमेशा सोचते हैं-
सूर्यलोक, चन्द्रलोक
स्वर्गलोक, पाताललोक
इन सबमें खूबसरत है पृथ्वीलोक।