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चाँद पर जा के अगर रहने लगेगी दुनिया / अनु जसरोटिया

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चाँद पर जा के अगर रहने लगेगी दुनिया
उस की धरती को भी नापाक करेगी दुनिया

पाँव रखने को भी बाक़ी न बची जो धरती
क्या समंदर के तले जा के रहेगी दुनिया

उम्र भर साथ किसी के न चली ये ज़ालिम
उम्र भर साथ किसी के न चलेगी दुनिया

एक ऐटम ने मिटा डाला था नागासाकी
उस को दुहराओगे तो कैसे बचेगी दुनिया

ज़ुल्म की हद से गुज़र जायेगा जब भी कोई
क़ह्र बन बन के न क्या टूट पड़ेगी दुनिया

अम्न की फ़ाख्ता पर खोलेगी इक दिन अपने
अम्न का गीत भी इक रोज़ सुनेगी दुनिया

चैन से जीने की तो बात बड़ी दूर की है
चैन से हम को तो मरने भी न देगी दुनिया।