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चूमौं करकंज मंजु अमल अनूप तेरो / कालीदास

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चुमौं करकंज मंजु अमल अनूप तेरो,
          रूप के निधान कान्ह!मो तन निहारि दै.
कालीदास कहै मेरे पास हरै हेरि हेरि,
          माथे धरि मुकुट, लकुट कर डारि दै.
कुँवर कन्हैया मुखचन्द को जुन्हैया चारु,
          लोचन चकोरन की प्यासन निवारि दै.
मेरे कर मेंहदी लगी है,नंदलाल प्यारे!
          लट उलझी है नकबेसर संभारि दै.