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जे सोबै से खोवै छै / मधुसूदन साहा

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जे सोवै से खोवै छै
बाकी जिनगी रोवै छै।

जखनी पोथी पढ़ना छै
आपनोॅ किस्मत गढ़ना छै
सबकें पीछू छोड़ी केॅ
आगू जखनी बढ़ना छै

तखनी जे नै संभलै छै
सब दिन दुक्खे ढोवै छै।

जे मेहनत सें भागै छै
ठीक समय नै जागै छै
ओकरे खेत-पथारोॅ में
चोर-उचक्का लागै छै

आम कहाँ सें खैतै ऊ
जे बबूर ही बोवै छै।

जेकरा सभै सुहावै छै
सबके सुख पहुँचावै छै
ओकरा ऊपर कहियो नै
कोनो आफत आवै छै

आपनोॅ हाथ हमेशा ऊ
गंगाजल में धोवै छै।

जे सोवै से खोवै छै
सौंसे जिनगी रोवै छै।