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तीनों, और चौथा केन्द्र में / विनोद कुमार शुक्ल
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तीनों, और चौथा केन्द्र में
उसी की घेरे-बन्दी का वृत्त
तीनों वृत्त के टुकड़े थे फरसे की तरह
धारदार तीन गोलाई के भाग
तीनों ने तीन बार मेरा गला काटना चाहा
उन्हें लगता था कि मेरा सिर तना है
इसलिए सीमा से अधिक ऊँचाई है
जबकि औसत दर्ज़े का मैं था।
वे कुछ बिगाड़ नहीं सके
मेरा सिर तीन गुना और तना
उनकी घेरेबन्दी से बाहर निकलकर।
फ़िल्म का एक दृश्य मुझे याद आया
एक सुनसान कबाड़ी गोदाम के
बड़े दरवाज़े को खोलकर
मैं लड़खड़ाता हुआ गुंडों से बचकर निकला हूँ
लोग बाहर खड़े मेरा इंतज़ार कर रहे हैं
पत्नी कुछ अलग रुआँसी खड़ी है
सबसे मिल कर मैं बाद में उससे मिला
वह रोते हुए मुझ से लिपट गई।