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तो सोच लो कि आदमी को मारना क्या है / देवी प्रसाद मिश्र
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(तोड़-फोड़ के लिए मियाँ ग़ालिब से माफ़ी माँगते हुए)
जो न नाक से टपका तो लहू क्या है
इस तिराहे पे क्रूरता की वजह क्या है
जो मेरे होंठ से निकले लहू को देख लिया
तो जान लो कि इराक है सीरिया क्या है
यों अगर गाय मारने की सज़ा उम्र क़ैद
तो सोच लो कि आदमी को मारना क्या है
हमने नागरिक बनाया तो क्या बना डाला
हमने बीते हुए सालों में किया क्या है
मैं कहूँगा कि मेरे पास एक चोट तो है
जो ये पूछ लो कि कौम के लिये दवा क्या है
मेरे सपनों में पूरी रात गाय पगुराती
एक हिन्दू की ख़्वाहिशों का हुआ क्या है
तुझको गर क़त्ल एक करना है
तो फिर वजह बताने की अदा क्या है