भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पता है, त(लाश)-4 / पीयूष दईया

Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:08, 28 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पीयूष दईया |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिल से चला गया जो
लौटा न फिर

अपने घर
रीते माथ, बेहाथ

खप्पर लिए
कोई

घर है जहां
भिक्षु नहीं