भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पधारिए हम्मर गाँव / राजकिशोर राजन

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:09, 2 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजकिशोर राजन |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खुरपी और हँसुए से भी तेज़ है बोली
पता नहीं, कब, किस बात पर
चल जाए लाठी-गोली
दरिद्रता में भी हठी बेजोड़

एक कट्ठा खेत में डाली जाती
कितनी राजनीति की खाद
कभी जानना हो
तो पधारिए हम्मर गाँव।