भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैं गीत लिखती हूँ / रेणु हुसैन

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:12, 25 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेणु हुसैन }} {{KKCatKavita‎}} <poem> अक्सर मैं गीत लिखती हूँ द…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अक्सर मैं गीत लिखती हूँ
दर्द गुनती हूँ, पीड़ा बुनती हूँ,
चुन-चुन के व्यथा रखती हूँ
अक्सर मैं गीत लिखती हूँ

ये वक़्त जिससे मैं छन-छन के गुज़र रही हूँ,
ये मौन जिसको मैं अन्दर भर रही हूँ,
डर है इन बादलों में आग लगने का
डर है मुझे लोग कह न दे कर्कशा
मैं शब्द मन में धरती हूँ
मैं गीत लिखती हूँ

और कितने रंगों से छलोगे मुझको
और कितने संगो से बाँधोगे मुझको
चलते-चलते तो साथ छाया का भी छोड़ दूँगी मैं
मैं शिला नहीं धारा हूँ ख़ुद को मोड़ लूँगी मैं
मैं नित रिश्तों से थकती हूँ,
मैं गीत लिखती हूँ
अक्सर मैं...