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मैं नीली हँसी नहीं हँसती / वंदना गुप्ता

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मैं नीली हँसी नहीं हँसती
कहा था तुमने एक दिन
बस उसी दिन से
खोज रही हूँ नीला समंदर
नीला बादल, नीला सूरज
नीला चाँद, नीला दिल
हाँ नीला दिल
जिसके चारों तरफ बना हो
तुम्हारा वायुमंडल सफ़ेद आभा लिए नहीं
सफेदी निकाल दी है मैंने
अब अपने जीवन से
चुन लिया है हर स्याह रंग
जब से तुम्हारी चाहत की नीली
चादर को ओढा है मैंने
देखो तो सही
लहू का रंग भी नीला हो गया है मेरा
शिराएँ भी सहम जाती हैं लाल रंग देखकर
कितना जज़्ब किया है न मैंने रंग को
बस नहीं मिली तो सिर्फ एक चीज
जिसके तुम ख्वाहिशमंद थे
कहा करते थे एक बार तो नीली हँसी हँस दो
देखो नीले गुलाब मुझे बहुत पसंद हैं
और मैं तब से खड़ी हूँ
झील के मुहाने पर
गुलाबों को उगाने के लिए
नीली हँसी के गुलाब
एक अरसा हुआ
नीले गुलाब उगे ही नहीं
लगता है
तेरी चाहत के ताजमहल को बनाने के बाद
खुद के हाथ खुद ही काटने होंगे
क्यूंकि
सुना है नील की खेती के बाद जमीन बंजर हो जाती है