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वह मुसहर का नन्हा बच्चा ! / भारत यायावर

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नदी किनारे
सुबह-सुबह सूरज की लाली
के दर्शन करने जाता है
वह नन्हा मुसहर का बच्चा

सोए जल की शीतल काया को निहारकर
बहुत देर तक बैठा रहता चुप्पी साधे
सूरज जो उगने से पहले
कितना ही सिन्दूर बिखेर कर
उसके मन के कितने कमल खिला जाता है

जैसे ही दिन ऊपर चढ़ता
वह अपने सूअरों को लेकर
घूमा करता
खेत नदी नाले तालाब पर
जब घर आता
कुछ उदास-सा हो जाता है

याद बहुत आती उसको माँ
बाप सुबह का गया रात को वापस आता
अपने लझ्झड़ रिक्शे के संग
दारू पीकर
आते ही जल्दी सो जाता ...

वह चुपचाप-सा
गई रात तक टुकुर-टुकुर ही
अंधकार को घूरता रहता