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|विविध=शील जी सनेही स्कूल के कवि हैं वे आज़ादी के आन्दोलन में कई बार जेल गये । गान्धीजी के प्रभाव मे “चर्खाशाला” लम्बी कविता लिखी । व्यक्तिगत सत्याग्रह से मतभेद होने के कारण गान्धी का मार्ग छोड़ा तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए । “मज़दूर की झोपड़ी” कविता रेडियो पर पढ़ने के कारण लखनऊ रेडियो की नौकरी छोड़नी पड़ी। ’चरख़ाशाला’, ’अंगड़ाई’, ’एक पग’, ’उदय पथ’, ’लावा और फूल’ , ’कर्मवाची शब्द हैं ये’ और ’लाल पंखों वाली चिड़िया’ आपके काव्य-संग्रहों के नाम हैं।  तीन दिन तीन घर, किसान, हवा का रुख़, नदी और आदमी, रिहर्सल, रोशनी के फूल, पोस्टर चिपकाओ आदि आपके नाटक हैं । इनके कई नाटकों को पृथ्वी थियेटर द्वारा खेला गया। इन नाटकों का प्रदर्शन रूस में भी हुआ, जिनमें राजकपूर ने अभिनय किया था। 
 
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* '''लावा और फूल / शील'''  (कविता-संग्रह)
 
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====कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ====
 
====कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ====
* [[15 अगस्त 1947 / शील]]  
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* [[अथ के लिए चलो / शील]]
 
* [[आदमी का गीत / शील]]  
 
* [[आदमी का गीत / शील]]  
* [[कविता व्यवसाय होती तो / शील]]
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* [[उन्हत्तर पूरे / शील]]
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* [[उर्वर धरती / शील]]
 
* [[एक विज्ञापन / शील]]
 
* [[एक विज्ञापन / शील]]
* [[निराला / शील]]
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* [[कनफटा / शील]]
* [[नागार्जुन / शील]]
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* [[कविता व्यवसाय होती तो / शील]]
* [[मुक्तिबोध / शील]]
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* [[बीच के लोग / शील]]
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* [[दाँव-पेंच में / शील]]
 
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* [[उन्हत्तर पूरे / शील]]
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* [[दीमक का घर / शील]]
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* [[नदी के दो कूल / शील]]
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* [[नागार्जुन / शील]]
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* [[15 अगस्त 1947 / शील]]
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* [[प्राण ! लघु मिट्टी का घेरा / शील]]
 
* [[फिरंगी चले गए / शील]]
 
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* [[बजने दो तरंग / शील]]
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* [[बीच के लोग / शील]]
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* [[बीच के लोग / शील]]
 
* [[बैल / शील]]
 
* [[बैल / शील]]
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* [[भाई का पत्र / शील]]
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* [[मध्यम वर्ग / शील]]
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* [[माँझी / शील]]
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* [[मुक्तिबोध / शील]]
 
* [[मेघ न आए / शील]]
 
* [[मेघ न आए / शील]]
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* [[मैं न हारा / शील]]
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* [[मैंने वसन्त को / शील]]
 
* [[राह हारी मैं न हारा / शील]]
 
* [[राह हारी मैं न हारा / शील]]
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* [[लोहा बजेगा / शील]]
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* [[वह / शील]]
 
* [[संध्या के बादल / शील]]
 
* [[संध्या के बादल / शील]]
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* [[सबेरा / शील]]
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* [[हम धरती के लाल / शील]]
 
* [[हल की मूठ गहो / शील]]
 
* [[हल की मूठ गहो / शील]]
* [[मैं न हारा / शील]]
 
* [[मैंने वसन्त को / शील]]
 

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मन्नूलाल द्विवेदी
Sheelji.jpg
जन्म 15 अगस्त 1914
निधन 23 नवम्बर 1994
उपनाम शील
जन्म स्थान पाली गाँव, कानपुर, उत्तर प्रदेश
कुछ प्रमुख कृतियाँ
अंगड़ाई, चरख़ाशाला, लावा और फूल, कर्मवाची शब्द हैं ये, लाल पंखों वाली चिड़िया (सभी कविता-संग्रह), प्रसिद्ध नाटक — किसान, तीन दिन तीन घर, हवा का रुख़।
विविध
शील जी सनेही स्कूल के कवि हैं वे आज़ादी के आन्दोलन में कई बार जेल गये । गान्धीजी के प्रभाव मे “चर्खाशाला” लम्बी कविता लिखी । व्यक्तिगत सत्याग्रह से मतभेद होने के कारण गान्धी का मार्ग छोड़ा तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए । “मज़दूर की झोपड़ी” कविता रेडियो पर पढ़ने के कारण लखनऊ रेडियो की नौकरी छोड़नी पड़ी। ’चरख़ाशाला’, ’अंगड़ाई’, ’एक पग’, ’उदय पथ’, ’लावा और फूल’ , ’कर्मवाची शब्द हैं ये’ और ’लाल पंखों वाली चिड़िया’ आपके काव्य-संग्रहों के नाम हैं। तीन दिन तीन घर, किसान, हवा का रुख़, नदी और आदमी, रिहर्सल, रोशनी के फूल, पोस्टर चिपकाओ आदि आपके नाटक हैं । इनके कई नाटकों को पृथ्वी थियेटर द्वारा खेला गया। इन नाटकों का प्रदर्शन रूस में भी हुआ, जिनमें राजकपूर ने अभिनय किया था।
जीवन परिचय
शील / परिचय
कविता कोश पता
www.kavitakosh.org/{{{shorturl}}}

रचना संग्रह

  • अंगड़ाई / शील (कविता-संग्रह))
  • लावा और फूल / शील (कविता-संग्रह)
  • कर्मवाची शब्द हैं ये / शील (कविता-संग्रह)
  • लाल पंखों वाली चिड़िया / शील (कविता-संग्रह)

कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ