भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हरसू दुनियादारी देखी / रामश्याम 'हसीन'

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:31, 26 फ़रवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामश्याम 'हसीन' |अनुवादक= |संग्रह= }}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हरसू दुनियादारी देखी
दुनिया हमनें सारी देखी

जीने की कोशिश देखी
मरने की तैयारी देखी

हारी बाज़ी जीते हैं वे
जीती बाज़ी हारी देखी

फूलों को इतराते देखा
काँटों की लाचारी देखी

मँहगाई के मारे फिरती
इज़्ज़त मारी-मारी देखी