अंगूठा / शरद कोकास
एक
अंगूठे को मुँह से लगाकर
उसने प्यास का संकेत दिया
होठों से चुल्लू लगाए
हज़ारों साल तक
खड़ा रहा वह
सवर्णों के कुएँ पर
इसी पारम्परिक मुद्रा में
अपने बाजु़ओं पर यकीन करते हुए
दुखों को उसने ठेंगा दिखाया
सुखों की अगवानी की
इसी अंगूठे से तिलक लगाकर।
दो
दुनिया को खू़बसूरत बनाने से लेकर
उसे इतिहास में दर्ज करने तक
अपने अलिखित योगदान के बावजूद
अंगूठे की छाप ली गई
उसकी गु़लामी के दस्तावेज़ों पर
उपेक्षा और अपमान के विरोध में
इसी में तीर थामकर
वह एकलव्य बना
और गंवा बैठा अंगूठा।
तीन
अंगूठे और उंगलियों के बीच
तूलिका पकड़कर
उसने अंकित किये
आदिम गुफाओं के कुदरती कैनवास पर
जीवित संघर्षों के चित्र
छेनी हथौड़ा थामकर राजाओं और देवताओं की मूर्तियाँ गढ़ी
शिल्पकारी की महलों और मक़बरों में
पत्थरों पर प्रशस्तियाँ उकेरीं।
दुनिया का आठवाँ अजूबा था
उसके अंगूठे का हाथ से जुदा होना।
-1998