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अजहू न आयल तोहार छोटी ननदी (कजली) / खड़ी बोली
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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- अजहू न आयल तोहार छोटी ननदी
बरसत सावन तरसत बीता, कजरी के आइन बहार । छोटी ननदी०।।
सब सखि झूला झूलन सावन मां गावत कजरी मलार । छोटी ननदी०।।
पी-पी रटत पपीहा नाचत, मोर किए किलकार । छोटी ननदी०।।
प्रिया प्रेमघन बिन एको छन लागैना जियरा हमार । छोटी ननदी०।।
('कविता कोश' में 'संगीत'(सम्पादक-काका हाथरसी) नामक पत्रिका के सितम्बर 1945 के अंक से)