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आई रेल-आई रेल / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
Kavita Kosh से
धक्का-मुक्की रेलम-पेल ।
आई रेल-आई रेल ।।
इंजन चलता सबसे आगे ।
पीछे -पीछे डिब्बे भागे ।।
हार्न बजाता, धुआँ छोड़ता ।
पटरी पर यह तेज़ दौड़ता ।।
जब स्टेशन आ जाता है ।
सिग्नल पर यह रुक जाता है ।।
जब तक बत्ती लाल रहेगी ।
इसकी जीरो चाल रहेगी ।।
हरा रंग जब हो जाता है ।
तब आगे को बढ़ जाता है ।।
बच्चों को यह बहुत सुहाती ।
नानी के घर तक ले जाती ।।
छुक-छुक करती आती रेल ।
आओ मिल कर खेलें खेल ।।
धक्का-मुक्की रेलम-पेल ।
आई रेल-आई रेल ।।