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रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
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रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

| जन्म | 04 फ़रवरी 1951 | 
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| जन्म स्थान | नजीबाबाद, जिला बिजनौर, उत्तर प्रदेश | 
| कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
| विविध | |
| ’उच्चारण’ पत्रिका का सम्पादन | |
| जीवन परिचय | |
| रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ / परिचय | |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ====काव्य संग्रह
अन्य कवियों के साथ संयुक्त संग्रह
गीत-नवगीत
- ज़िन्दगी हमारे लिए आज भार हो गई! / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
- वानर बैठा है कुर्सी पर, हुई बिल्लियाँ मौन! / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
- अडिग रहे हैं, अडिग रहेंगे / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
- छाँव वही धूप वही, दुल्हिन का रूप वही / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
- रूप धरती ने धरा कितना सलोना। / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
- कल्पनाएँ डर गईं हैं, भावनाएँ मर गईं हैं, / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
- जब कोई श्यामल सी बदली, सपनों में छाया करती है! / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
- मन की वीणा को निद्रा में, अभिनव तार सजाने दो! / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
- गधे बन गए, अरबी घोड़े / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
- रौशनी के वास्ते, जल रहा च़िराग है / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
- तुहिन-हिम नभ से अचानक धरा पर झड़ने लगा / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
- अपना है गणतन्त्र महान / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
- गणतन्त्र दिवस पर राग यही दुहराया है / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
- अगर न होती बेटियाँ, थम जाता संसार / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
 
	
	

