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मिलेगी क्या ख़ुशी तुम को मेरे दिल के फ़साने में / रंजना वर्मा

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मिलेगी क्या ख़ुशी तुम को मेरे दिल के फ़साने में
मज़ा मिलता है सब को ही मुक़द्दर आज़माने में

सुनाऊँ दर्दे दिल की दास्ताँ अपनी तो मैं किस को
नहीं गमख़्वार है कोई मेरा सारे जमाने में

ये आँसू कीमती हैं मोतियों से अब न ये कहना
चलो रहने दो अब रक्खा नहीं कुछ इस बहाने में

है कुछ पाने की ख़्वाहिश करते रहिये कोशिशें हरदम
नहीं मिलती है लज्ज़त चीज़ कोई यूँ ही पाने में

कभी हम आ न पायेंगे कभी तुम ही न आओगे
गुज़र जायेगी सारी जिंदगी बस आने जाने में

तुम्हारे जाने का ग़म हम तो सीने में दबाये हैं
बड़ी होती है मुश्क़िल दर्दे दिल ऐसे छिपाने में

नहीं साथी कोई ग़म का सभी को चाहिये ख़ुशियाँ
बहुत तकलीफ़ होती है मगर यों मुस्कुराने में