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आग हो जाओ, हवाओ / रामकुमार कृषक
Kavita Kosh से
आग हो जाओ, हवाओ
आग !
यह सड़न / सीलन
समय
रोगों भरा,
और इसमें
गर्भ से बाहर जो आकर
रेंगता
वह अधमरा,
ऊँघता है जाग !
यह घुटन / सुलगन
धुआँ
सहता धुआँ
और इसमें
खोपड़ी से पेट को जो
जोड़ता
वह टेंटुआ,
डालता है झाग !
5-10-1976