भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सुर्ख़ियों के स्याह चेहरे / रामकुमार कृषक
Kavita Kosh से
सुर्ख़ियों के स्याह चेहरे
रचनाकार | रामकुमार कृषक |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | 1977 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविता |
विधा | नवगीत |
पृष्ठ | 112 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- काग़ज़ पर रेंगती क़लम / रामकुमार कृषक
- अपना ही मुँह रही खरोंच / रामकुमार कृषक
- सूरज के वक्ष झुकी / रामकुमार कृषक
- शब्दों में दिख रही दरार / रामकुमार कृषक
- घड़ियों की सुइयों–सँग / रामकुमार कृषक
- लाइन में लगे हुए पेट / रामकुमार कृषक
- कण्ठ की सुराही को / रामकुमार कृषक
- अविचारित बोध के लिए / रामकुमार कृषक
- बाशऊर आप हैं / रामकुमार कृषक
- स्लेट–रंग सड़कों पर / रामकुमार कृषक
- एक अहम आसन पर है / रामकुमार कृषक
- अर्द्ध सरकारी कलेण्डर–सा / रामकुमार कृषक
- बातें तो बातें हैं / रामकुमार कृषक
- दिखता है बाहर से जाता जो / रामकुमार कृषक
- धरती की छाती पर / रामकुमार कृषक
- सूरज ने हाथों से खींचा / रामकुमार कृषक
- भीतरी दुर्गन्ध से / रामकुमार कृषक
- छुरियों–काँटों से / रामकुमार कृषक
- शिलान्यास-उद्घाटन / रामकुमार कृषक
- आदर्शों पर अगरबत्तियाँ / रामकुमार कृषक
- हार हुई तो / रामकुमार कृषक
- सावधान ... / रामकुमार कृषक
- कार - कोठियाँ बँगले - शँगले / रामकुमार कृषक
- जली है रोज़ / रामकुमार कृषक
- कहाँ रहा है पेट / रामकुमार कृषक
- हो गई हैं खिड़कियाँ दीवार / रामकुमार कृषक
- हम परावलम्बी हैं / रामकुमार कृषक
- कहने को तो / रामकुमार कृषक
- ग़ैरों की दुनिया में / रामकुमार कृषक
- चुटकियों से / रामकुमार कृषक
- डिग्रियों के नाक पर / रामकुमार कृषक
- ज़िन्दगी-भर एक ही व्यायाम / रामकुमार कृषक
- सुर्ख़ियों के स्याह चेहरे (नवगीत) / रामकुमार कृषक
- बादलों में जल नहीं है / रामकुमार कृषक
- ऑंधियाँ भी हों / रामकुमार कृषक
- शीर्ष आसन / रामकुमार कृषक
- लिफ़्ट से ऊपर / रामकुमार कृषक
- ख़ास के ही वास्ते है आम / रामकुमार कृषक
- हम प्रतीक्षारत / रामकुमार कृषक
- सीट के ऊपर नहीं हैं सा’ब / रामकुमार कृषक
- उठ न जाए लाश / रामकुमार कृषक
- रोटियाँ चाहे कहीं हों क़ैद / रामकुमार कृषक
- संगति के नाम पर / रामकुमार कृषक
- एक दुर्घटना बचाते / रामकुमार कृषक
- एक आदिम गन्ध / रामकुमार कृषक
- धिना-धिन ... / रामकुमार कृषक
- आग हो जाओ, हवाओ / रामकुमार कृषक
- आदमी ख़ाली, बड़ी गाली / रामकुमार कृषक
- हर फ़सल चालाकियों की / रामकुमार कृषक
- ग़रीबी के विषय में / रामकुमार कृषक
- शब्द-शब्द है सोच / रामकुमार कृषक
- ग़रीबी को मिटाना है / रामकुमार कृषक
- गाँव से आना / रामकुमार कृषक
- दिन-ब-दिन अब आदमी में शहर बसता जा रहा है ! / रामकुमार कृषक
- छोटे-छोटे नाम / रामकुमार कृषक