शब्द - शब्द है सोच
सोचने पर प्रतिबन्ध नहीं,
तुम्हें छोड़ सोचें
कोई ऐसा अनुबन्ध नहीं !
अनुबन्धित जो रहे तुम्हीं से
पीढ़ी - दर पीढ़ी
सदा तुम्हारे लिए उन्हीं की
रीढ़ रही सीढ़ी,
पाँव - पीठ का निभ पाएगा
अब सम्बन्ध नहीं !
दूर - दूर तक अक्षर - अक्षर
इनका बल - बूता
फिर भी इन ज्वालामुखियों का
अन्तस अनकूता,
खींच फेफड़े सकें
आज की कविता गन्ध नहीं !