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आस सुमनों से मेरे घर को सजाया आपने / रंजना वर्मा

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आस सुमनों से मेरे घर को सजाया आपने।
खो गयी थी जो खुशी उस से मिलाया आपने॥

आज फिर आओ चलो मिलकर करें ये हौसला
चल पड़े उस पन्थ पर जिसको दिखाया आपने॥

हो रहा दुश्वार चलना राह भी कितनी कठिन
डर अँधेरों का नहीं हर पग बचाया आपने॥

राह को रौशन करेगी चाँद तारों की किरन
जुगनुओं के साथ भी रिश्ता निभाया आपने॥

चूम लेगी चाँद को यह सोच कर उमड़ी लहर
हे विधाता जोश क्योंकर यों जगाया आपने॥

थी मेरी कश्ती अकेली ही भँवर में डोलती
नाख़ुदा बन कर किनारे से लगाया आपने॥

जातियों में बाँट हम को आप तो हँसते रहे
स्वार्थ की खातिर हमें ही तो लड़ाया आपने॥