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खुशबू रातरानी की / रंजना वर्मा
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खुशबू रातरानी की
रचनाकार | रंजना वर्मा |
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प्रकाशक | साई प्रकाशन, फैज़ाबाद, उ. प्र. |
वर्ष | |
भाषा | हिंदी |
विषय | |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- सुनो साँवरे दूर जाना नहीं / रंजना वर्मा
- सदा अनुभूति रहती है समायी हर तराने में / रंजना वर्मा
- विश्व पटल पर देशवासियों अपनी आन बचाये रखना / रंजना वर्मा
- देश हित जो कष्ट सहने के लिये तैयार है / रंजना वर्मा
- नया नया कुछ करना है / रंजना वर्मा
- यहाँ पंछी गगन में नित अमन के गीत गाते हैं / रंजना वर्मा
- कभी जब रात आधी साँवरा वंशी बजाता है / रंजना वर्मा
- कालिमा मिट गयी चाँदनी हो गयी / रंजना वर्मा
- देश हमारा जग से न्यारा हम भारत में रहते हैं / रंजना वर्मा
- जब जब आता सावन है / रंजना वर्मा
- पूछो न जिंदगी का हमारी क्या हाल है / रंजना वर्मा
- साथ तुम्हारा मिले हृदय उज्ज्वल हो जाये / रंजना वर्मा
- हुई सुहानी भोर गगन में सूरज आया / रंजना वर्मा
- साँवरे घनश्याम से मन प्यार तो कर ले / रंजना वर्मा
- तुम्हारा प्यार इस दिल में जगाना भी जरूरी है / रंजना वर्मा
- हर ओर हाहाकार है आकर मिटाते क्यों नहीं / रंजना वर्मा
- जब रात हो अँधेरी हर ओर तम हो काला / रंजना वर्मा
- सभी को दूर दुख से भागते देखा / रंजना वर्मा
- न कर बेकार की मीठी नयी तक़रार होली में / रंजना वर्मा
- बाद बरस के चली फगुनहट होली का त्यौहार / रंजना वर्मा
- जीवन के दिन चार मिलिये सब से प्यार से / रंजना वर्मा
- साँवरे यदि द्वार आओगे नहीं / रंजना वर्मा
- अगर लिखना किसी को हो लिखो मनुहार की भाषा / रंजना वर्मा
- समय बदलता रहे करवटें कभी नहीं बदलेगी सोच / रंजना वर्मा
- कर रहा मन कामनाएँ / रंजना वर्मा
- सुघर सलोना रूप लुभाता नँदलाला / रंजना वर्मा
- एक खुशबू रातरानी हो गयी / रंजना वर्मा
- हृदय में जागता जब प्यार कविता जन्म लेती है / रंजना वर्मा
- वो नित नवीन लक्ष्य है गढ़ता चला गया / रंजना वर्मा
- आज तुमसे पूछती ये फिर तुम्हारी बेटियाँ हैं / रंजना वर्मा
- वक्त रुका कब मत मानव तू आलस कर / रंजना वर्मा
- राष्ट्र हित अब स्वप्न कोई देखना होगा नया / रंजना वर्मा
- भारत को आहत कर क्यों आग लगाते हो / रंजना वर्मा
- मन में गहरी पीर छुपी पर अधरों पर मुस्कान रहे / रंजना वर्मा
- देह मन्दाकिनी निर्मला हो गयी / रंजना वर्मा
- जरा सीख लो साँवरे प्यार करना / रंजना वर्मा
- शुद्धता मोह की बाधिका बन गयी / रंजना वर्मा
- मिले न इक पल सुख जीवन में टूटे नित ही मान / रंजना वर्मा
- सबको रक्षा करनी होगी भारत के सम्मान की / रंजना वर्मा
- जीवन आज बना शमशान / रंजना वर्मा
- एक बार बह जाता है जो जल साथी / रंजना वर्मा
- कुछ संकल्प नये सत्वर लें / रंजना वर्मा
- सोच जिसकी महान होती है / रंजना वर्मा
- पलकें हिलीं गाल पर नन्ही एक बूँद ढलकी / रंजना वर्मा
- सौदा करने चले इश्क़ का तो अपना मन बेच दिया / रंजना वर्मा
- फिर तिमिर से किस तरह लड़ने लगी / रंजना वर्मा
- इंद्रधनुष के सात रँग सा है जीवन / रंजना वर्मा
- मौन प्रतीक्षा आँसू के घट रीत गये / रंजना वर्मा
- जग को जीवन देने वाली नारी के अधिकार लिखें / रंजना वर्मा
- प्रभो आज आयी ये कैसी घड़ी है / रंजना वर्मा
- तेल बिन दीपक कोई जलता नहीं / रंजना वर्मा
- क्यों अकारण इस तरह हमको सताया आपने / रंजना वर्मा
- घिरी घटाएँ घन सावन के घहर घहर बरसे / रंजना वर्मा
- दूर ठहर मत ले पंगा / रंजना वर्मा
- आस सुमनों से मेरे घर को सजाया आपने / रंजना वर्मा
- आशाओं की फसल कभी बेकार नहीं होती / रंजना वर्मा
- नाम ईश्वर का सबेरे शाम है / रंजना वर्मा
- दिये प्राण जिसने वतन के लिये / रंजना वर्मा
- कोई चाँदनी में नहाये तो जाने / रंजना वर्मा
- अमन के गीत चिड़िया गा रही है / रंजना वर्मा
- हो तुम्ही गीत औ ग़ज़ल मेरी / रंजना वर्मा
- प्यार का हो गुलाल होली में / रंजना वर्मा
- विश्वास नगर जा कर नव आस जगाते हैं / रंजना वर्मा
- हो खुशी से भरी रहगुज़र जिंदगी / रंजना वर्मा
- बोलो क्यों दिन रात बुझे यों रहते हो / रंजना वर्मा
- जिसके जो भी जी मे आये कहने दो / रंजना वर्मा
- इच्छा हो भव बन्धन छूटे तो करिये नित प्रभु का ध्यान / रंजना वर्मा
- वैर मत्सर क्रोध होली में जलाना चाहिये / रंजना वर्मा
- क्या मनाये जश्न कोई पीर के त्यौहार पर / रंजना वर्मा
- रुख देख हवाओं का हैं बहते कभी नहीं / रंजना वर्मा
- भारत को है मान रहा जो अपनी माता / रंजना वर्मा
- जिंदगी चलती नहीं मनुहार पर / रंजना वर्मा
- स्वप्न में उनको बुलाना आ गया / रंजना वर्मा
- शीश शशि सुरसरित शुभ अभिराम है / रंजना वर्मा
- धुन मधुर बाँसुरी पर बजाने लगे / रंजना वर्मा
- साँवरे हमें सदा स्नेह युक्त हास दो / रंजना वर्मा
- सोचो न इस जहां की जो छूटने है वाला / रंजना वर्मा
- सुन साँवरे सलोने तुझको बुला रही हूँ / रंजना वर्मा
- आरजू रात की जब मचलने लगी / रंजना वर्मा
- निगाहें मिला कर झुकाती भी होगी / रंजना वर्मा
- छवि तेरी जब से है दिल में बसने लगी / रंजना वर्मा
- श्यामसुंदर अब दरश दिखलाइये / रंजना वर्मा
- जिंदगी बेवजह मुझको छलने लगी / रंजना वर्मा
- अश्रु आंखों के न मेरी कम हुए / रंजना वर्मा
- तेरी ही डगर पर गमन कर रही हूँ / रंजना वर्मा
- रात जब चूनरी बिछाती है / रंजना वर्मा
- मगन आज सारा गगन हो रहा है / रंजना वर्मा
- झुका शीश सबको नमन कर रही हूँ / रंजना वर्मा
- मोहन को मन की नगरी में अपने तनिक बुला लेती हूँ / रंजना वर्मा
- बड़ी खूबसूरत गजल लिख रही हूँ / रंजना वर्मा
- बदलियाँ दुखों की सघन कर रही हूँ / रंजना वर्मा
- मैं टूटी उम्मीदों के घर अपने हाथ बना लेती हूँ / रंजना वर्मा
- आँखों को ये उजाले न बहते हैं आजकल / रंजना वर्मा
- हैं गगन में चाँद तारे रो रहे / रंजना वर्मा
- हुआ देखो कैसा अनाचार है / रंजना वर्मा
- न कोई काशी न काबा न कर्बला जाये / रंजना वर्मा
- उदासी को छिपा करके बहन जब मुस्कुराती है / रंजना वर्मा
- सुहानी भोर की बेला नगर हरि की डगर कर लें / रंजना वर्मा
- अपनेपन की परिपाटी में मैं भी कदम बढ़ा लेती हूँ / रंजना वर्मा
- अँधियारे में आकर दीप जलाती थी / रंजना वर्मा
- बताएं तुम्हें क्या कि क्या प्यार है / रंजना वर्मा