हृदय में जागता जब प्यार कविता जन्म लेती है / रंजना वर्मा
हृदय में जागता जब प्यार कविता जन्म लेती है।
मने जब प्रीति का त्यौहार कविता जन्म लेती है॥
मृदुल मोहक मधुर मधु कामना के फूल खिलते ही
महकता जब सकल संसार कविता जन्म लेती है॥
परस्पर सदविचारों से गमकती जगत अमराई
अगर होती दुखों की हार कविता जन्म लेती है॥
कभी जब साँझ ढलते रवि उंडेले सिंधु में सोना
प्रकृति की कल्पना साकार कविता जन्म लेती है॥
न टीसे दर्द अपना सिर्फ़ औरों की कसक साले
करे मन मौन की मनुहार कविता जन्म लेती है॥
सरस यमुना किनारे साँवरा गउएँ चराये तो
मचल उट्ठे नदी की धार कविता जन्म लेती है॥
अधर पर बाँसुरी धर कर पुकारे श्याम राधा को
बनें सुर प्रेम की झंकार कविता जन्म लेती है॥
प्रदूषण की कहानी भूल सरितायें बनें निर्मल
विटप हों भूमि का शृंगार कविता जन्म लेती है॥
गया हो रूठ चन्दा चाँदनी मनुहार करती हो
सितारों की बढ़े मिक़दार कविता जन्म लेती है॥